Raksha Bandhan 2025 (रक्षाबंधन) का कहानी और महत्व जानें।

Raksha Bandhan 2025Raksha Bandhan 2025 (रक्षाबंधन): भाई-बहन के प्रेम का पावन त्योहार

Raksha Bandhan 2025 (रक्षाबंधन) भारत का एक प्रमुख और पवित्र त्योहार है जो भाई-बहन के अटूट रिश्ते और प्रेम को समर्पित है। यह पर्व हर साल सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती है, वहीं भाई बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है।

Raksha Bandhan 2025 (रक्षाबंधन) का इतिहास और कहानी

रक्षाबंधन का महत्व केवल आज तक सीमित नहीं है, इसका जिक्र हमें प्राचीन इतिहास, पुराणों और लोककथाओं में भी मिलता है।

  1. श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कथा
    महाभारत के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण की उंगली कट गई। उस समय द्रौपदी ने अपने साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। बदले में श्रीकृष्ण ने जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन दिया। यही घटना रक्षाबंधन की सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक है।

  2. रानी कर्णावती और हुमायूँ की कहानी
    मध्यकाल में चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजकर अपनी और अपने राज्य की रक्षा की गुहार लगाई। हुमायूँ ने राखी के सम्मान में युद्ध कर उनकी रक्षा की।

  3. इंद्र और इंद्राणी की कथा
    पुराणों में वर्णन है कि देवासुर संग्राम के दौरान इंद्राणी ने इंद्रदेव की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था, जिससे उन्हें युद्ध में विजय मिली।

रक्षाबंधन का महत्व (Importance of Raksha Bandhan)

Raksha Bandhan 2025 (रक्षाबंधन) केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि एक भावनात्मक बंधन का प्रतीक है। इसका महत्व कई रूपों में है:

  • भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करना
    यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम, भरोसा और जिम्मेदारी को बढ़ाता है।

  • सांस्कृतिक और पारिवारिक जुड़ाव
    आज के व्यस्त जीवन में यह पर्व परिवार को एक साथ लाता है।

  • सामाजिक एकता
    कई जगह लोग मित्रों, गुरुओं और यहां तक कि सैनिकों को भी राखी बांधते हैं, जिससे सामाजिक सौहार्द बढ़ता है।

रक्षाबंधन 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त

  • तारीख: 9 अगस्त 2025 (शनिवार)

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 9 अगस्त 2025, सुबह 10:35 बजे

  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 10 अगस्त 2025, सुबह 8:12 बजे

  • राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: 9 अगस्त को दोपहर 1:35 बजे से शाम 5:50 बजे तक

रक्षाबंधन की तैयारी

  1. राखी की खरीदारी
    बाजारों में रंग-बिरंगी राखियां, लुम्बा राखी, किड्स राखी और डिज़ाइनर राखियां उपलब्ध होती हैं।

  2. पूजन सामग्री
    थाली में रोली, चावल, दीपक, मिठाई और राखी रखी जाती है।

  3. परिधान
    इस दिन भाई-बहन पारंपरिक कपड़े पहनते हैं, जो त्योहार के माहौल को और खास बनाता है।

रक्षाबंधन मनाने की विधि

  • सबसे पहले घर को साफ-सुथरा करके सजाया जाता है।

  • भगवान का पूजन कर थाली तैयार की जाती है।

  • बहन भाई को तिलक करती है, आरती उतारती है और राखी बांधकर मिठाई खिलाती है।

  • भाई बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा का वचन लेता है।

रक्षाबंधन से जुड़ी आधुनिक परंपराएं

  • ऑनलाइन राखी भेजना – आजकल जो बहनें अपने भाइयों से दूर रहती हैं, वे ऑनलाइन राखी और गिफ्ट भेजती हैं।

  • पर्यावरण-अनुकूल राखियां – इको-फ्रेंडली राखियां आजकल ट्रेंड में हैं, जो बायोडिग्रेडेबल होती हैं।

  • वीडियो कॉल से सेलिब्रेशन – विदेश या दूर रहने वाले भाई-बहन वीडियो कॉल के जरिए त्योहार मनाते हैं।

रक्षाबंधन और रक्षा का व्यापक अर्थ

आज के समय में रक्षाबंधन का मतलब सिर्फ भाई द्वारा बहन की रक्षा करना नहीं है, बल्कि यह एक-दूसरे के सम्मान, अधिकार और स्वतंत्रता की रक्षा का प्रतीक भी बन चुका है।

रक्षाबंधन पर विशेष संदेश (Raksha Bandhan Quotes)

  • “रिश्ता तो है खून का, पर प्यार उससे भी गहरा है – यही है रक्षाबंधन का बंधन।”

  • “राखी का धागा भाई-बहन के रिश्ते की सबसे मजबूत डोर है।”

  • “Raksha Bandhan सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि जीवनभर की सुरक्षा और स्नेह का वचन है।”

FAQ

प्र1: रक्षाबंधन 2025 कब है?
रक्षाबंधन 2025 9 अगस्त 2025 (शनिवार) को मनाया जाएगा।

प्र2: रक्षाबंधन का महत्व क्या है?
रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम, स्नेह और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है। यह पारिवारिक और सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है।

प्र3: 2025 में राखी बांधने का शुभ समय क्या है?
2025 में राखी बांधने का शुभ समय दोपहर 1:35 बजे से शाम 5:50 बजे तक रहेगा।

प्र4: क्या बिना सगे भाई के भी रक्षाबंधन मना सकते हैं?
हाँ, कई लोग अपने चचेरे भाइयों, दोस्तों या सैनिकों को भी राखी बांधते हैं।

प्र5: रक्षाबंधन मनाने के आधुनिक तरीके कौन से हैं?
ऑनलाइन राखी भेजना, इको-फ्रेंडली राखी का इस्तेमाल करना और वीडियो कॉल के जरिए जश्न मनाना आजकल के प्रमुख तरीके हैं।

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